Monday, April 19, 2010

Gandhi Naked Ambition सत्य या अपमान

महात्मा गाँधी पर हाल ही मैं एक किताब आई है Gandhi Naked Ambition . इस किताब मैं यह बताने की कोशिश की गयी है की महात्मा गाँधी एक कामुक व्यक्ति थे और उनके कई स्त्रियों से समबन्ध थे. किताब के लेखक है जड़ अदम्स (JAD ADAMS) किताब मैं क्या लिखा है मैंने भी नहीं पढ़ाहै और ऐसे उल जलूल किताबों को पढ़ना भी नहीं चाहता. यह किताबें सिर्फ जल्द से जल्द प्रसिधी पाने का तरिका भर हैं. किसी भी महान व्यक्ति पर ऊँगली उठाओ उसके समर्थक विरोध करेंगे और विरोधी समर्थन. इस खिचातानी मैं किताब और लेखक को प्रसिद्धी मिल जाएगी. सभी कोप पता है की बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा. लेखक ने प्रसिद्धी पाने के लिए किताब लिखी. परन्तु हमारे देश मैं क्या हो रहा है. कुछ लोग इस किताब का समर्थन कर रहे हैं.
दूसरी विचारधारा या संप्रदाय के लोगों को नीचा दिखने के लिए महापुरुषों का अपमान करना पिछले कुछ समय से यह फैशन बन गया है. और हम लोग इसके अपवाद नहीं हैं. महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता की उपाधि दी जाना मेरे भी गले नहीं उतरती. गाँधी जी के सभी विचारों से सब सहमत हों ऐसा नहीं हो सकता. और उनकी विचारधारा या उनके सामाजिक जीवन पर हम बहस कर सकते हैं और शायद करनी भी चाहिए. क्योंकि समाज ने आज गाँधी जी के विचोरों को गांधीवाद का नाम दे दिया है. परन्तु हम गांधीवाद की बात न करके गाँधी जी चरित्र पर ही सवाल उठाने लगे हैं. किसी ने गाँधी पर किताब लिखी और उनका चरित्र हनन करने की कोशिश करी और हम लोग जुट गए लेखक का गुणगान करने और गाँधी जी को गाली देने.
सही मायने मैं हम गाँधी जी को गाली नहीं दे रहे हम कांग्रेस को जताना चाहते हैं की जिस व्यक्ति का नाम लेकर आप अपनी राजनीती चमका रहे हैं वह कितना भ्रष्ट है. हम मैं से किसी ने भी किताब मैं लिखी बातों की सत्यता जानने की कोशिश नहीं की बस गलियां देनी शुरू कर दी. 
हम अपनी हरकतों से यह सिद्ध करना चाहते हैं की हमारी विचारधारा से जुड़े महापुरुष ही राष्ट्र के सचे सेवक हैं दूसरा कोई नहीं. आज सारा विश्व महात्मा गाँधी को महान मानता है, महात्मा गाँधी हमारे देश की पहचान बन चुके हैं. हो सकता है की किताब मैं जो लिखा है वह सब सच हो परन्तु क्या ऐसे सच को उजागर करना जरूरी है. क्या आज हम महात्मा गांधी को केवल अपमानित नहीं कर रहे हैं.
हमें अपनी सोच बदलने की जरूरत है. महापुरुष सबके साझे होते हैं. किसी समुदाय या पार्टी का उन पर एकाधिकार नहीं होता. किसी भी महापुरुष का अपमान उस से सम्बंधित संप्रदाय का नहीं अपितु समस्त राष्ट्र का अपमान है.

5 comments:

----- श्रेष्ठ भारत ----- said...

एक बात मे भी बताना चाहता हु की आज की पीढ़ी नै गाँधी को कहा से जाना, कोंग्रेसी किताबो से, अगर गाँधी महान थे तो वो १९४८ को जब भारत के कितने परिवारों के जख्म भरे भी ना थे उस समय पाकिस्तान को ५५ करोड़ जेसी भरी भरकम मदद देने के लिए अनसन पर बैठा था !
२ - १९४८ को ही वो दिल्ली मे एक मस्जिद बनाने के लिए सरकार पर दबाव बनाया था लेकिन सोमनाथ मंदिर के लिए जीर्णोद्धार को वो एक अनर्गल, और व्यर्थ खर्च मानता था !
आज की पीढ़ी को यह हक़ है की वो कोंग्रेसी इतिहास से परे भी झांक कर देंखे, और अब वक्त आ गया है यह सुनिश्चित करने का की भगत सिंह, उस्फफ़ उल्लाह खान , राजगुरु, बोस और दिनकर जैसे राष्ट्र भक्त महान थे या फिर ये एक गाल आगे करना दूसरा गाल वाला...अहिंसा का पुजारी जिसके ही अहिंसात्मक काल में १० लाख लोग मौत के काल के गाल मे समां गए थे, हजारो बच्चे अनाथ. और हजारो बहने विधवाए

Manoj Kumar Singh 'Mayank' said...

प्रिय मनोज जी
यह कितने संयोग की बात है कि आप भी मनोज और मैँ भी मनोज।आप भी ब्लागर और मैँ भी ब्लागर।फर्क सिर्फ इतना है कि आप गाँधीवादी हैँ और मैँ सुभाषवादी।मैँ गाँधी का यह कथन कैसे भूल सकता हूँ कि पट्टाभिसीतारमैया की हार मेरी हार है।महत्वाकांक्षा का भाव जगजाहिर है।गाँधी अहिँसक नहीँ हिँसक थे।एक वैचारिक आतंकवादी।
www.atharvavedamanoj.jagranjunction.com

Manoj Kumar Singh 'Mayank' said...

प्रिय मनोज जी
यह कितने संयोग की बात है कि आप भी मनोज और मैँ भी मनोज।आप भी ब्लागर और मैँ भी ब्लागर।फर्क सिर्फ इतना है कि आप गाँधीवादी हैँ और मैँ सुभाषवादी।मैँ गाँधी का यह कथन कैसे भूल सकता हूँ कि पट्टाभिसीतारमैया की हार मेरी हार है।महत्वाकांक्षा का भाव जगजाहिर है।गाँधी अहिँसक नहीँ हिँसक थे।एक वैचारिक आतंकवादी।
www.atharvavedamanoj.jagranjunction.com

Manoj Kumar Singh 'Mayank' said...

प्रिय मनोज जी
यह कितने संयोग की बात है कि आप भी मनोज और मैँ भी मनोज।आप भी ब्लागर और मैँ भी ब्लागर।फर्क सिर्फ इतना है कि आप गाँधीवादी हैँ और मैँ सुभाषवादी।मैँ गाँधी का यह कथन कैसे भूल सकता हूँ कि पट्टाभिसीतारमैया की हार मेरी हार है।महत्वाकांक्षा का भाव जगजाहिर है।गाँधी अहिँसक नहीँ हिँसक थे।एक वैचारिक आतंकवादी।
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Anonymous said...

manoj bhai aap gandhi ho sakte hai lekin mai nahi hun congreshi kitabe kahti hai akele gandhi ne aajadi dilai kya ye un hazaro sahido ka apman nahi hai mera manna hai agar gandhi sach me mahatma hote to apne samarthko aisi niti nahi dete jo desh ko aage badhne se rokey........ gandhi ek dhongi baba tha aasharam aur nirmal baba ki tarah jinke piche andhe log tab tak ghumte hai jab tak koi dusra unhe aake haqiqat na dikhaye......... jab aaj inke baato me itne log aa jaate hai to ye us samay me to gandhi se bhi bade kartab dikhate ye to gandhi k hi vansaj lagte hai jo usne kiya wahi ye karte hai.....gandhi kuch nahi ek dhoke ka naam hai ye rastra pita nahi ............pita wo hota hai jo janam de palan kare sosan karne wale kabse pita hone lage..........