Sunday, April 25, 2010

जो दीखता है वो वैसा नहीं होता

एक बार एक आदमी अपने २४ वर्षीया बेटे के साथ ट्रेन में चढ़ा. ट्रेन में उनके साथ एक दंपत्ति भी सफ़र कर रहे थे. ट्रेन चलने लगी युवक खिड़की से बहार झांक रहा था खुश हो रहा था और अचानक कहने लगा पिताजी देखो पेड़ पीछे भाग रहे हैं. दम्पति को अचम्भा हुआ की एक नोजवान कैसे बच्चों जैसे बातें कर रहा है. थोड़ी देर में लड़का फिर जोर जोर से चेखने लगा पिताजी देखो बादल भी पुल्टे भाग रहे हैं. अड़ सफ़र कर रहे दम्पति में से महिला ने युवक के पिताजी से कहा की आप अपने बेटे को किसी बढ़िया डाक्टर को दिखाएँ. बाप बोला हम अभी डाक्टर के पास से ही आ रहे हैं. ये लड़का बचपन से अँधा था और इसका आँख का आपरेशन हुआ है. कभी कभी जो दीखता है वो वैसा नहीं होता जैसा हम समझते हैं. हमें किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले विषय का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए..

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