Wednesday, August 3, 2011

ईसाई बन शादी कर सकते हैं रिश्ते के हिंदू भाई-बहन


दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि हिंदू समुदाय में रिश्ते के भाई और बहन ईसाई धर्म अपनाकर आपस में विवाह कर सकते हैं। अदालत ने यह कहते हुए एक सेवानिवृत न्यायाधीश की अपने मजिस्ट्रेट पुत्र के खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया, जिसने धर्म बदलने के बाद अपने मामा की पुत्री से शादी कर ली थी। न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने विवाह की वैधता को कायम रखते हुए कहा, प्रतिवादियों (दंपती) का धर्मांतरण भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम की धारा तीन के तहत उचित है। इसलिए इनका विवाह ऐसे संबंधों के तहत नहीं आता, जो हिंदू विवाह अधिनियम के तहत प्रतिबंधित है। अपने पुत्र के खिलाफ मामला दर्ज कराने पर पिता को फटकार लगाते हुए अदालत ने कहा, इस प्रकार की सोच नई पीढ़ी की व्यापक सोच को नष्ट करती है। कई बार इसका परिणाम झूठी शान के लिए की जाने वाली हत्याओं के रूप में दिखता है। अगर अदालत इस प्रकार के मामलों का समर्थन शुरू कर दें तो यह खाप की तानाशाही का समर्थन होगा। अदालत ने याचिकाकर्ता ओपी गोगने पर विचार न करने योग्य मामला दर्ज करने पर दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। इस धन को दिल्ली की बार काउंसिल, अधिकवक्ता कल्याण कोष में जमा कराने के लिए कहा गया है। अदालत ने कहा कि सरकारी कर्मचारी होने के नाते मजिस्ट्रेट ने कोई गुनाह नहीं किया है


यह निर्णय शायद समवैधानिक रूप में सही हो सकता है परन्तु क्या इस प्रकार धर्म बदल कर शादी करना सामाजिक रूप से सही है?

Wednesday, May 4, 2011

ओसामा मारा गया

ओसामा मारा गया. दुनिया के सबसे बड़े आतंकी का युग समाप्त हो गया. अमेरिका सबसे ज्यादा खुश है क्योंकि ओसामा उनका सबसे बड़ा शत्रु था और उसे उसकी सेना ने ही मारा. आज सारा विश्व अमेरिका की पीठ थप थापा रहा है. पर उसे अपने जिस दोस्त पर सबसे ज्यादा विश्वास था वोही दगाबाज निकला. अमेरिका का ये आपरेशन कुछ सवाल छोड़ गया है.
१. क्या पाकिस्तान इतना कमजोर देश है की कोई भी उसकी हवाई सीमा मैं दाखिल हो जाये और उसे पता भी न चले और आने वाला उसके क्षेत्र में हमला करके वापस भी चला जाये और वो देखता रहे. जैसा की अमेरिका ने कहा की पाकिस्तान को इसकी जानकारी तक नहीं दी गयी थी. 
२.  अमेरिका ने इस आपरेशन की कोई विडियो या फोटो जारी नहीं की है जैसे सद्दाम की की थी. 
३. आपरेशन पूरा होने से पहले ही ओबामा ने प्रेस को न्योता भेज दिया था. ओबामा को यकीं था की आपरेशन सफल होगा.
४. अमेरिका ने दो कांसुलेट बंद कर दिए और अपने दगाबाज दोस्त को माफ़ कर दिया. अमेरिका जैसा देश जिसने ईराक पर हमला सिर्फ इसलिए कर दिया की उसे शक था की ईराक के पास विनाशकारी हथियार हैं उसने पाकिस्तान की विरुद्ध कोई खास कार्यवाही नहीं करी. अमेरिका चाहे कुछ भी कहे इस आपरेशन में ये दोनों देश मिले हुए थे.

Sunday, April 3, 2011

भारतीय नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा युगब्ध ५११३, विक्रमी संवत २०६८ , (तदनुसार २ अप्रेल २०११ ) की हार्दिक शुभकामनाएँ

भारतीय नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा युगब्ध ५११३ विक्रमी संवत २०६८,  (तदनुसार २ अप्रैल २०११) की हार्दिक शुभकामनाएँ. नव वर्ष हम सभी की जीवन में नया प्रकाश और नै उर्जा लाये इश्वर से यही कामना है.
आज हम पूरी तरह से रोमन कैलंडर के अनुरूप ही अपनी दैनिक जीवनचर्या का निर्वहन कर रहे हैं. और मुझे इससे कोई आपत्ति भी नहीं है. परन्तु शायद हम अपने इस महान पर्व को कही भूल से गए हैं. हम विदेशी नव वर्ष को बहुत भूम भाम से मानते है, नए साल पर एक दुसरे को बधाई देना नहीं भूलते, नए साल का जशन मनाते हैं, पार्टियाँ करते हैं, नाचते गाते हैं पीते और पिलाते हैं. परन्तु जब अपना नव वर्ष आता है तो हमें याद भी नहीं रहता. यह दिन केवल इस लिए महत्वपूर्ण नहीं है की इस दिन हम एक वर्ष पूरा करके नए वर्ष में प्रवेश करते हैं अपितु यह दिन हमारे इतिहास का एक हिस्सा भी है. 
  1. आज के ही दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी.
  2. भगवान् राम और महाराज युधिश्धिर का राज्यभिशेक आज के ही दिन हुआ था.
  3.  स्वामी विवेकानंद ने आर्य समाज कि स्थापना आज के ही दिन कि थी.
  4.  विक्रमादित्य ने शकों को परस्त किया
  5. महर्षि गोतम का जन्मदिवस
  6. संत झूलेलाल का प्रकाश पर्व
  7. डॉ. हेडगेवार का जन्म दिवस
  8. कलयुग का प्रारंभ आज कलयुग शुरू हुए ५११२ वर्ष हो जायेंगे.
  यह नववर्ष भारत के सभी हिस्सों मैं अलग अलग नाम से मनाया जाता है. सांस्कृतिक विविधता होने के कारन और अनेक पंचांग होने के कारन यह पर्व देश मैं अलग अलग दिन मनाया जात है परन्तु सभी पर्व कुछ दिनों के अंतराल मैं ही मनाये जाते हैं :
कश्मीर मैं नवरेह,
आंध्र प्रदेश और कर्नाटक मैं उगादी 
महाराष्ट्र मैं गुडी पर्व 
तमिलनाडु मैं पुथांडू 
केरल मैं विशु 
मणिपुर मैं चेइरावबा 
उड़ीसा मैं महाबिशुबा  संक्रांति 
हिमाचल प्रदेश मैं चिट्टी और बसोया 
बंगाल मैं पोहेला  बोइशाख 
पंजाब मैं बैसाखी 
बिहार और उत्तरप्रदेश मैं मकर सक्रांति 
सिन्धी समाज इस दिन को चेती चाँद के रूप मैं मानते हैं.
भारत के प्रत्येक कोने मैं यह पर्व मनाया जाता है. हम इन पर्वों को अपनी धर्मिक आस्था से जोड़ कर देखते है परन्तु यह भूल जाते है कि यह हमारा नव वर्ष उत्सव है. शायद हमें आदत पद गयी है हुड दांग की ३१ दिसंबर के उत्सव और हमारे उत्सव मैं एक विशेष भिन्नता भी है. इंग्लिश नया साल शोर शराबे, हुडदंग, शराबखोरी और दुसरे व्यसनों के साथ माने जाता है परन्तु चैत्र मास लगते ही सम्पूर्ण भारत मैं अध्यात्म हावी हो जाता है हम अपने नव वर्ष की शुरुआत मंदिरों और देवस्थानों पर जाकर, सत्संग और हवन कर करते हैं. जहाँ इंग्लिश नव वर्ष पूरी तरह भोग और विलास को समर्पित हो जाता है वहीँ हिन्दू नव वर्ष अध्यात्म और भक्ति को. दोनों पर्वों मैं उत्साह चरम पर होता है पर दोनों जगह उत्साह और आनंद मैं फर्क होता है. जहाँ इंग्लिश नव वर्ष हमें भोग की और ले जाता है वहीँ हिन्दू नववर्ष हमें परमार्थ का रास्ता दिखाता है.
पर्व कोई भी उसे मानाने से किसी को कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए परन्तु अपना भूल कर दूसरो के पीछे भागना क्या उचित है? 

Wednesday, February 16, 2011

गढ़बंधन धर्म पर राजधर्म कुर्बान

राजा को दोबारा मंत्री बनाने के बारे में एक सवाल पर मनमोहन ने कहा कि मुझे ए राजा के खिलाफ शिकायतें मिल रही थीं लेकिन मैं उस स्थिति में नहीं था कि इस बात का फैसला कर सकूं कि इस मामले में सचमुच कुछ गंभीर गड़बड़ी हुई।







अब इसे प्रधानमंत्री का गढ़बंधन धर्म पर राजधर्म कुर्बान करना ही कहा जा सकता है. देश के सबसे शिष्ट और इमानदार नेता ने राष्ट्र ...के साथ धोखा करने वालों का साथ दिया और उसे कबूल भी कर लिया. हे प्रभु इस देश का क्या होगा??????

Thursday, October 7, 2010

अयोध्या मुद्दे पर इलाहाबाद उच्च न्यायलय के फैसले

देश के सारे पत्रकार और मेरे जैसे बेकार सभी लोग अयोध्या मुद्दे पर इलाहाबाद उच्च न्यायलय के फैसले पर अपनी अपनी राय दे रहे हैं. बहुत से तो दावा भी करने लग गए है की उन्होंने पूरा फैसला पढ़ लिया है. खैर जो भी फैसला है वो कितना न्यायसंगत है ये तो सिर्फ कानून जानने वाले ही बता सकते हैं. परन्तु मुझ जैसे लोग इसे एक समझोते के रूप मैं देखते हैं. इस फैसले से जहाँ हिन्दू पक्ष खुश है वहीँ मुस्लिम पक्ष नाखुश.
इस मुक़दमे का मुख्या झगड़ा क्या है, हिन्दू उस साड़ी जमीन को अपनी बताते हैं और मुस्लिम अपनी. ६० साल तक उस जमीन के लिए मुकदमा चलता रहा. और दोनों पक्ष उस जगह पर अपना दावा करते रहे. पर जब फैसला आया की जगह का बटवारा कर के इसे ३ भागों मैं बात दिया जाए तो हिन्दू समाज ने इस बटवारे को भी स्वीकार कर लिया. परन्तु शायद हमारे मुस्लिम भाई और उनके नाम पर अपनी राजनीति चमकाने वालों को ये समझोता भी गवारा नहीं. उलटे समय समय पर इंदु भावनाओ को भड़काया जा रहा है.
हिन्दू समाज आज आगे बढ़ कर एक समझोते के लिए तैयार है पर मुस्लिम समाज और उस समाज के पैरोकार इस मुद्दे पर कोई भी सम्जोप्ता नहीं होने देना चाहते हैं. कल कहीं ऐसा न हो की आज हिन्दू १/३ जमीन देने पर भी राजी है और कल वो उस पूरी जमीन पर एक भव्य मंदिर खड़ा कर दे.

Saturday, May 15, 2010

क्या गृहणी होना शर्मनाक है?

क्या गृहणी होना शर्मनाक है? आज शहरों में जहाँ लगभग सभी गृहणिया पढ़ी लिखी हैं. वहां अक्सर ऐसे सवाल उठते हैं. गृहणी होना किसी भी प्रकार से स्त्रियों के लिए कोई सामाजिक या यूँ कहे की आधुनिक सोच रकने वालों के लिए महत्वहीन ह गया है. पढ़ी लिखी होने के बाद भी क्या कर रही हो, एक चाय का विज्ञापन आता है जिसमे दो सहेलियां मिलती हैं एक बैंक मैं काम करती है दूसरी गृहणी है, गृहणी को अपने गृहणी होने पर इतना अफ़सोस है की वो अपनी सहेली से कहती है की बस एक हाउस वाइफ हूँ.उसके ये शब्द उसके अन्दर पनप रही हीन भावना को दर्शाता है. 
अक्सर देखा जाता है की गृहणी को अन्य काम काजी महिलाओं की अपेक्षा हलके में लिया जाता है. मैं किसी भी प्रकार से महिलाओं के काम करने का विरोधी नहीं हूँ. लेकिन मैं इस बात का पुरजोर विरोध करता हूँ की महिलाओं की आजादी के नाम पर उन्हें नौकरी करने के लिए उकसाया जाये. महिलाओं को आत्म्लिर्भर होना चाहिए, पढना लिखना चाहिए, महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं और यह बात महिलाओं ने समय समय पर साबित भी की है. लेकिन मैं नौकरी सिर्फ इसलिए करूंगी की मुझ पर हाउस वाइफ का ठप्पा न लग जाये. आज बहुत सी औरतें सिर्फ इसलिए नौकरी करना चाहती हैं क्यूंकि गृहणी होने मैं उन्हें शर्म महसूस हो रही है. आज आत्मनिर्भरता, आजादी, और समानता का अर्थ है की महिलाएं काम करें और गृहणी का अर्थ हैं पति और परिवार की दासी.
क्या वाकई हम महिला उत्थान या समरसता का सही अर्थ जान पा रहे हैं. एक काम काजी महिला सिर्फ काम काजी नहीं है परिवार उससे एक सम्पूर्ण गृहणी होने की भी उम्मीद रखता है. एक गृहणी किसी भी प्रकार से कम कर नहीं आंकी जा सकती. परिवार संभालना और बच्चों में संस्कार देना ये किसी भी प्रकार से छोटे काम नहीं हैं. गृहणी होने का अर्थ यह नहीं है की महिला पुरुष से कम है या उसकी दासी है. महिला पूरी तरह से पुरुष के सामान है. क्या पढ़ाई या शिक्षा का अर्थ केवल अस्ची नौकरी पाना है. और क्या नौकरी करने वाली महिला को परिवार मैं पुरुष अपने सामान दर्जा दे रहा है.

Sunday, April 25, 2010

हम से कहाँ चूक हुई

भारत विश्व का सबसे प्राचीन देश है. विश्व की पहली सभ्यता भारत की सभ्यता है. जब सम्पूर्ण विश्व पेड़ों पर रहता था हमारे यहाँ नगर और ग्राम जैसे संरचना थी. जब पूरा विश्व बोलना भी नहीं जनता था हम अपने व्याकरण पर नए नए शोध कर रहे थे. हमने विश्व को पढना सिखाया, बोलना सिखाया, विश्व के पहले विश्वविद्यालय भारत में थे, हम विश्व गुरु थे विश्व भारत को सोने की चिड़िया कहता था. वीरता और प्रक्रम में हमारा कोई सानी नहीं था. हमारा इतिहास हमारे गूराव्मायी अतीत का बखान करता है.
फिर अचानक क्या हुआ की
१००० वर्षों से भी ज्यादा समय तक विदेशियों ने हम पर शासन किया? 
हम से कहाँ चूक हुई? 
क्या हम में इतना सामर्थ्य नहीं था की हम कुछ मुठी बार लोगों का सामना कर सकते थे?
क्या आज भी हम उन गलतियों से कुछ सीख पा रहे हैं?
हम अपने राष्ट्र को पुनः उसी सम्मान पर ला पाएंगे?
ऐसे अनेक सवाल हैं, कृपया अपनी राय दे.....