Wednesday, February 3, 2010

MUMBAI KISKI HAI

भारत में जितने भी राज्य हैं सब भाषाई आधार पर बनाये गए हैं. प्रत्येक राज्य की अपनी राजभाषा है जिसमे सरकारी काम होते हैं. जब राज्य भाषाई आधार पर बने हैं तो हर राज्य में उस भाषा विशेष के पैरोकार भी होंगे. सामान्यता ये लोग भाषा के विकास या उठान की तरफ ध्यान न देकर भ्शावाद को ही बढ़ावा देते हैं. महाराष्ट्र भी मराठी के आधार पर ही बना राज्य है. और यहाँ भी ऐसे लोग विद्यमान है जो भाषा की बात करके केवल राजनेतिक रोटियां सकते हैं. पहले दक्षिण भारतीयों को मुंबई से बाहर किया अब उत्तर भारतियों की बारी है.
ये बात समझ में नहीं आती की जो लोग कश्मीर से धरा ३७७ हटाने की वकालत करते हैं वो ही लोग मुंबई पर सिर्फ मराठियों का हक बताते हैं. क्या मुंबई या देश का कोई बे हिस्सा किसी भाषा विशेष के लोगों के लिए ही है. हम स्वतंत्र हैं ये हमारा राष्ट्र है और ये हमारा अधिकार है की हम कहीं भी आ जा सकते है, देश के किसी भी हिस्से में रह सकते हैं, व्यापार कर सकते हैं. मुंबई पर सारे हिंदुस्तान का हक है और हिन्दुस्तान के प्रत्येक हिस्से पर मुंबईवासियों का.
आज महाराष्ट्र में हो रहा है कल किसी और हिस्से में ऐसा होगा. भाषाई आधार पर लोगों पर अत्याचार करने वाले लोगों को सजा मिलने चाहिए. पर सजा देगा कौन? सरकार मूक बनकर तमाशा देख रही है. सरकार में बेठे लोग देश से पहले अपनी पार्टी के फायदे नुक्सान का मूल्याङ्कन करते हैं. सरकार खामोश है क्योंकि चाचा भतीजे की लड़ाए में फायदा उनकी पार्टी को है. जितना ये लड़ेंगे वोट बाटेंगे. पर कोई भी इनको रोकने की बात नहीं सोच रहा है.
यदि सरकार राष्ट्र हित में सोच कर कार्य करे तो इस प्रकार की बातें न हों.

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